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Bhasha kise kahate hain: मेरे प्यारे साथियों अगर आप इस आर्टिकल को पढ़ते हैं तो आपको इसमें पता चलेगा कि भाषा किसे कहते हैं यह आपके लिए जाना बहुत इंपोर्टेंट है क्योंकि अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो उसमें हो सकता है आपके सामने यह सवाल आ जाए और आप इसका सही आंसर ना दे पाऊं इसी वजह से हमने आज की पोस्ट लिखी है।

इसमें हम आपको विस्तार से बताएंगे कि भाषा किसे कहते हैं और हिंदी व्याकरण के बारे में आपको और अच्छे से जानकारी देने की कोशिश करेंगे तो चलिए इस पोस्ट को शुरू करते हैं और आगे बढ़ते हैं

भाषा किसे कहते हैं | Bhasha kise kahate hain

Bhasha kise kahate hain (1)

प्यारे साथियों भाषा को साधन है जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर सुनकर या फिर लिखकर पढ़कर अपने मन के भावों को विचारों को दूसरों के सामने प्रकट करता है या फिर यूं कह लीजिए कि जिस माध्यम से हम अपनी भावनाओं को अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं वह एक रास्ता भाषा ही है इसलिए भाषा हमारे लिए बहुत जरूरी है अब देखा गया है कि भाषा अलग अलग तरह की होती हैं जैसे हिंदी उर्दू अंग्रेजी मराठी बंगाली हमारे देश भारत में तो अनेक भाषाएं बोली जाती हैं।

जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि हमारे भारत देश में बहुत अलग अलग तरह की भाषाएं हैं पर हमने आपको बताना चाहूंगा कि भाषा आए तीन रूप की होती है

नंबर 1 मौखिक भाषा

नंबर दो लिखित भाषा

नंबर 3 संकेतिक भाषा

चलिए मैं आपको इन तीनों के बारे में विस्तार से बताता हूं तो हम पहले बात करते हैं मौखिक भाषा की

नंबर 1 मौखिक भाषा

मौखिक भाषा का वह रूप जिसमें व्यक्ति अपने विचारों को बोलकर प्रकट करता है और दूसरों तक अपनी बात को पहुंचाता है उसको दूसरों को अपनी बात समझाता है  इस तरह की भाषा मौखिक भाषा कहलाती है इसमें वक्ता बोल कर अपनी बात कहता है और सुनने वाले उसकी बात को सुनकर उस बात को समझते हैं

नंबर दो लिखित भाषा

उसके बाद हम आपको बताते हैं लिखित भाषा के बारे में लिखित भाषा बो भाषा  है जिसके माध्यम से हम अपने विचारों को लिखकर दूसरों तक पहुंचाते हैं उसे लिखित भाषा कहा जाता है इसे समझने के लिए एक पत्र लिखा जाता है।

नंबर 3 संकेतिक भाषा

इसके बाद आती है सांकेतिक भाषा आपको बता दें कि सांकेतिक भाषा वह बाजा है जिसके माध्यम से हम अपने विचारों को इशारों या फिर यूं कह लीजिए संकेतों के जरिए दूसरों को समझाते हैं यानी के इशारा करते हैं उंगली का इशारा हो सकता है गर्दन का इशारा हो सकता है यह सारा किसी भी तरह का हो सकता है इस तरह की भाषा को सांकेतिक भाषा कहा जाता है।

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Bhasha kise kahate hain in short

Bhasha kise kahate hain (2)

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Bhasha kise kahate hain

मेरे प्यारे साथियों हम आपको बताना चाहते हैं कि जिस प्रकार के मनुष्य का अपना वंश और परिवार होता है उसी तरह से ही भाषाओं का भी अपना वंश और एक परिवार होता है जैसे कि आप समझ लीजिए भाषाओं का जन्म किसी एक मूल भाषा से हुआ माना जाता है, जब एक जगह के निवासी दूर-दराज में जाकर बसने चले गए तो वहां पर भाषा का विभाजन हो गया और भाषा अलग-अलग रूपों में बदल गई इनकी भाषा के मेल से एक तीसरी भाषा विकसित होती चली गई ऐसी भाषाएं अलग अलग होती चली गई और अलग वंश की अलग भाषा होती चली गई

आपको हम बता देंगे हिंदी तथा उत्तर भारत के अधिकांश भाषाएं सिंधी पंजाब गुजराती हरियाणवी नेपाली मराठी आदि आर्य परिवार की भाषाएं बोली जाती हैं जिनका मूल स्रोत संस्कृत को माना जाता है यह आश्चर्य की बात है कि संस्कृत मूल भाषा से निकली है आज उसी से अंग्रेजी  आदि भाषाएं भी विकसित हुई है

और यही कि आज अंग्रेजी जर्मनी जिनका आदि अनेक भाषाएं हैं इस समस्त परिवार को भारतीय भाषा का परिवार कह सकते हैं भारतीय भाषा परिवार की भाषा में भारत में बोली जाती हैं भारतीय आर्य भाषाओं के रूप में जाना जाता है इन वैदिक संस्कृत पालि प्राकृत अपभ्रंश है इन हिंदी भाषा का विकास और विस्तार हुआ है।

दक्षिण भारत में एक दूसरा भाषा परिवार भी है चलिए हम आपको बताते हैं इस दक्षिण भारत के दूसरे परिवार के बारे में आपको बता देंगे ड्राइवर भाषा परिवार इसकी भाषाएं जिसमें तेलुगू तमिल मलयालम कन्नड़ और संपूर्ण विश्व में इन भारतीय रुपए और द्रविड़ भाषा परिवार के अतिरिक्त अनेक भाषाएं हैं जिनको दक्षिण भारत का दूसरा परिवार भी कहा जाता है।

 

Bhasha kise kahate hain in hindi

Bhasha kise kahate hain

प्यारे पाठको आज आप जिस हिंदी भाषा को बोलते हैं लिखते हैं वह खड़ी बोली का ही सुधरा हुआ स्वरूप है खड़ी बोली का प्राचीन स्वरूप लगभग 10 वीं शताब्दी से प्रारंभ हुआ था ऐसा माना जाता है फिर भी सदी 14 सदी शताब्दी में अमीर खुसरो के द्वारा पहली बार हिंदी में कविता रची गई थी जिसका नाम था पहेलियां मुकरियां

आपको बता दें कि भारत में मुसलमानों का बहुत दिनों तक शासन रहा यह खड़ी बोली को दक्षिण भारत में ले गए, वहां अरबी फारसी में लिखी भाषा को दक्कनी उर्दू का नाम मिला

हालांकि आपको बता दें कि मध्यकाल तक खड़ी बोली जनसाधारण की बोली बन गई थी और उत्तर भारत में खूब प्रचलित थी आपको बता दें कि उस समय तक खड़ी बोली का साहित्यिक विकास नहीं हुआ था क्योंकि उस टाइम पर ब्रजभाषा अवधी और मैथिली की काव्य की भाषाएं माना जाता था।

आपको बता दें कि इस क्रम में सूरदास ने ब्रजभाषा को तुलसी ने अतीत को और विज्ञप्ति ने मैथिली को साहित्यिक दृष्टि से चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया था दूसरी विडंबना उधर राजकाज की भाषा फारसी थी जोकि लोगों को परेशान करती थी राजपाट की भाषा समझने के लिए इसका परिणाम यह हुआ कि खड़ी बोली का साहित्य विकास उस वक्त तक नहीं हो सका लेकिन आपको बता दें 19वीं और 20वीं शताब्दी में ज्ञान विज्ञान कला कौशल और अंग्रेजी साहित्य का भारत में प्रचार प्रसार हो चुका था।

Dur bhasha kise kahate hain

Bhasha kise kahate hain

आपको बता दें कि हिन्दी का क्षेत्र अब बहुत व्यापक हो चला है। यह मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश हिमाचल  बिहार , , राजस्थान , , पंजाब , हरियाणा , प्रदेश , दिल्ली , महाराष्ट्र , बंगाल आदि भारतीय सीमा तक ही सीमित नहीं है

आपको बता दें कि  , लंका , मॉरिशस , बर्मा  सूरीनाम , दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका तक थोड़ा – बहुत फैला हुआ है। हिन्दी खड़ी बोली से विकसित है।

Bhasha kise kahate hain class 1st

Bhasha kise kahate hain

आपको बता दें कि भाषा और व्याकरण में चोली-दामन का संबंध है। लेकिन , किसी भी भाषा का प्रादुर्भाव पहले होता है और व्याकरण उसके पीछे-पीछे चलता है। भाषा मानक हो तथा इसमें एकरूपता रहे , इसके लिए कुछ नियम बनाए जाते हैं। यही नियम व्याकरण है।

इसके आलावा  भाषा की मानक लिपि क्या हो , वर्णों या अक्षरों का कैसा संयोजन हो , शब्दों की रचना कैसे हो , वाक्यों की संरचना में किन – किन बातों का ख्याल रखा जाए , इससे सम्बद्ध हर भाषा का अपना अलग अलग नियम होता है। इसकी व्याख्या और व्यवस्था व्याकरण का काम है।

Krodh bhasha kise kahate hain

प्यारे साथियों क्रोध की भाषा वह है जिससे इंसान का अपना ही नुकसान होता है अगर आप किसी से क्रोध में बात करेंगे तो हो सकता है कि आपके भाषा में इतनी कड़वाहट होकर दूसरे को वह सहन ना हो पाए जिससे वह निराश हो जाएगा और आप के लिए अपने मन में गलत गलत ख्याल ला सकता है इसलिए कभी भी आपको क्रोध भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे आपका और आप जिससे भाषा बोल रहे हो उसका दोनों का ही नुकसान होगा इसलिए आपको नम्रता से बात करनी चाहिए और हमेशा प्रेम भाव के साथ भी अपनी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए

Bhasha ki paribhasha

  • oxford dictionary के अनुसार – भाषण और लेखन में संचार की प्रणाली जो किसी विशेष देश या क्षेत्र के लोगों द्वारा उपयोग की जाती है, भाषा कहलाती है।
  • पतंजली के अनुसार – भाषा संचार की एक प्रणाली है, जिसके द्वारा मनुष्य स्वयं को अभिव्यक्त करता है।
  • आचार्य देवनार्थ शर्मा के अनुसार – जब मनुष्य उच्चारण के लिए ध्वनि संकेतों की मदद से परस्पर विचार-विनिमय  में करते हैं तो उस संकेत प्रणाली को भाषा कहा जाता है।
  • John Dewey अनुसार – भाषा जानने का साधन या पूछताछ का उपकरण है।

ऊपर दी गई भाषा के अनुसार अब आपको समझ आ चुका होगा की भाषा वह साधन है जिसके द्वारा लोग अपने विचारों का लिखित और कथित रूप से आदान और प्रदान करते हैं हर क्षेत्र में रहने वाले लोग चाहे वह पूर्व में हो या पश्चिम के हो या उत्तर की हो या दक्षिण हो पूरी दुनिया में रहने वाले लोग अपनी भाषा का इस्तेमाल करते हैं अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए लेकिन मेरे दोस्तों भाषा सिर्फ इंसानों की ही नहीं होती बादशाह जानवर पक्षियों और कीड़े मकोड़ों की भी होती है जो अपनी अपनी भाषा में अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।

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सवाल और जवाब Bhasha kise kahate hain

भाषा किसे कहते हैं इसके कितने प्रकार होते हैं?

भाषा तीन प्रकार की होती हैं-

(1) मौखिक भाषा

(2) लिखित भाषा

(3) सांकेतिक भाषा

भाषा किसे कहते हैं तथा भाषा के कितने रूप हैं?

Bhasha kise kahate hain

भाषा के तीन रूप होते हैं,  तथा मनुष्य बोलकर सुनकर या फिर लिखकर पढ़कर अपने मन के भावों को विचारों को दूसरों के सामने प्रकट करता है या फिर यूं कह लीजिए कि जिस माध्यम से हम अपनी भावनाओं को अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाना चाहते हैं वह एक रास्ता भाषा ही है इसलिए भाषा हमारे लिए बहुत जरूरी है अब देखा गया है कि भाषा अलग अलग तरह की होती हैं जैसे हिंदी उर्दू अंग्रेजी मराठी बंगाली हमारे देश भारत में तो अनेक भाषाएं बोली जाती हैं।

भाषा किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है?

मनुष्य का बोलकर, लिखकर, सुनकर व पढ़कर, अपने मन के विचारों तथा भावों का आदान-प्रदान करना भाषा कहलाता है।  भाषा का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है भाषा एक ऐसा रास्ता है जिससे हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाते हैं और दूसरों के विचारों को हम खुद समझ पाते हैं यह भाषा ही की वजह से हम यह सारी चीजें कर पाते हैं इसलिए भाषा का महत्व हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा है

व्याकरण एवं भाषा क्या है?

दोस्तों भाषा और व्याकरण एक जिस्म और दो जान हैं। लेकिन हाँ , किसी भी भाषा का प्रादुर्भाव पहले होता है और व्याकरण उसके पीछे-पीछे चलता है। भाषा मानक हो तथा इसमें एकरूपता रहे , इसके लिए कुछ नियम बनाए जाते हैं। यही नियम व्याकरण है।

हमने सीखा – Bhasha kise kahate hain

आज की इस पोस्ट में हमने सीखा की भाषा किसे कहते हैं भाषा कितने प्रकार की होती है तो मैं आशा करता हूं दोस्तों आपको इस पोस्ट में संपूर्ण जानकारी भाषा से रिलेटेड मिल चुकी होगी फिर भी मैं आपको लास्ट में यह बताना चाहता हूं कि भाषा हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए की क्योंकि हमारी भाषा ही हमारा आचरण बताती है इसलिए आप कभी भी किसी से भी बात करें तो अच्छी भाषा में बात करें और गलत भाषा का प्रयोग ना करें गलत भाषा से आप के चरित्र पर सवाल उठ सकते हैं आपका चरित्र खराब हो सकता है इसलिए हमेशा अच्छी भाषा का ही प्रयोग करें .

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